प्रवीण शर्मा | Edited By: राघव वाधवा
May 05, 2022 | 6:06 PM
यह बात इस साल 11 मार्च की है. उस दिन RBI के एक आदेश से हड़कंप मच गया. रिजर्व बैंक ने पेटीएम (Paytm) पेमेंट बैंक को नए ग्राहक जोड़ने से रोक दिया था. पेटीएम को एक ऑडिट फर्म भी अपॉइंट करने के लिए कहा गया, जिससे उसके IT सिस्टम्स का पूरा ऑडिट हो सके. अब दूसरी कहानी बताते हैं. बात भारतपे (Bharatpe) की है. ये फिनटेक (Fintech) कंपनी साल की शुरुआत में सुर्खियों में आ गई. कंपनी में कॉरपोरेट गवर्नेंस का मसला उठा. और को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर को ही कंपनी से निकाल बाहर किया गया. इस दौरान कंपनी, ग्रोवर और नए मैनेजमेंट और CEO सबकी खूब फजीहत हुई. बात यहीं खत्म नहीं होती. रिजर्व बैंक पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस मांग रहे कुछ ऑनलाइन पेमेंट गेटवे पर भी गहराई से नजर रखे हुए है.
केवाईसी से जुड़े मसलों और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों और गेमिंग ऐप्स के साथ इनकी पिछली डीलिंग्स ने इन्हें शक के दायरे में ला दिया है. ये तीनों कहानियां भारत के पेमेंट्स बैंक और पेमेंट एग्रीगेटरों की कहानी को बयां करने के लिए काफी हैं.
भारत के उभरते पेमेंट और फिनटेक सेक्टर में इस उथल-पुथल से रिजर्व बैंक भी परेशान है. अब RBI एक-एक कदम फूंक-फूंककर रख रहा है. इसी चक्कर में रिजर्व बैंक और सरकार के सबसे बड़े थिंक टैंक नीति आयोग में भी ठन गई है. मामला डिजिटल बैंक लाइसेंस का है. दरअसल, नवंबर में नीति आयोग ने डिजिटल बैंक पर डिस्कशन पेश किया था. नीति ने कहा कि फाइनेंशियल इनक्लूजन के लिए डिजिटल बैंक के लाइसेंस दिए जाने चाहिए लेकिन, रिजर्व बैंक ने इस पर अपना वीटो लगा दिया है.
ऐसा तब है जबकि हाल में ही रिजर्व बैंक ने डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स यानी DBU के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं. इस साल के बजट में 75 जिलों में 75 DBU खोलने का टारगेट भी रखा गया है. सवाल यह पैदा होता है कि जब DBU खोलने के लिए RBI बेकरार है तो फिर उसे डिजिटल बैंक लाइसेंस देने में क्या ऐतराज है. बात वाजिब भी है. तो बात यह है कि डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स खोलने की इजाजत पहले से मौजूद सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों को होगी. इनमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, पेमेंट बैंक और लोकल एरिया बैंक शामिल नहीं होंगे.