नई दिल्ली. भारत में फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) को अब भी निवेश का बेहतर साधन माना जाता है. इसमें निवेश पर जोखिम कम रहता है. ब्याज भी मिलता है. हालांकि, ज्यादा रिटर्न की वजह से बहुत से लोग एफडी कराने के बजाय म्यूचुअल फंड या अन्य जगहों पर निवेश की सलाह देते हैं.
हालांकि, अगर आप अपने पैसे पर गारंटी के साथ रिटर्न (Return Guarantee ) चाहते हैं तो एफडी बेहतर विकल्प है. इसमें न सिर्फ ब्याज मिलता है बल्कि एक साथ कई फायदे होते हैं. एफडी पर लोन या ओवरड्राफ्ट की सुविधा ले सकते हैं. इसमें इंश्योरेंस कवर भी मिलता है. जानिए और क्या-क्या मिलते हैं फायदे.
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लोन या ओवरड्राफ्ट की सुविधा
कई सारे बैंक एफडी के आधार पर ओवरड्राफ्ट सुविधा भी देते हैं. एफडी एक गारंटी जैसा होता है. इसका मतलब है कि अगर आप लोन नहीं चुका सके तो लोन के पैसे आपकी एफडी से कवर कर लिए जाएंगे. अगर आप एफडी की तुलना किसी और निवेश से करें तो यह भी ध्यान रखें कि एफडी पर आपको लोन मिल सकता है.
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इंश्योरेंस कवर
अगर आपने किसी बैंक में एफडी कराया है तो उस पर आपको डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) का इंश्योरेंस कवर मिलता है. अगर आपका बैंक डिफॉल्ट कर देता है या दिवालिया हो जाता है तो आपको इस इंश्योरेंस कवर के तहत 5 लाख रुपये तक मिल जाएंगे. इसमें मूलधन और ब्याज दोनों ही शामिल होंगे. इसका मतलब है कि आपको गारंटी जरूर मिलेगी. 5 लाख रुपये तक वापस मिलने की भी गारंटी होगी.
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मुफ्त लाइफ इंश्योरेंस का फायदा
कई ऐसे बैंक हैं, जो एफडी कराने पर मुफ्त लाइफ इंश्योरेंस का अतिरिक्त फायदा देते हैं. बैंक ऐसा ऑफर इसलिए देते हैं ताकि वह अधिक-से-अधिक लोगों को एफडी के प्रति आकर्षित कर सकें. इसके तहत बैंक अपने ग्राहकों को एफडी की रकम के बराबर लाइफ इंश्योरेंस की पेशकश करते हैं. इसमें उम्र की एक सीमा भी होती है.
मिलेंगे टैक्स के भी फायदे
अगर आप 5 साल या उससे अधिक दिनों के लिए एफडी करते हैं तो उस पर इनकम टैक्स कानून-1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसके तहत, साल भर में आप 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट ले सकते हैं. हालांकि, अगर आप 5 साल से कम की एफडी कराते हैं तो आपको टैक्स चुकाना होगा. अगर किसी साल में तमाम बैंकों से मिला ब्याज 40 हजार रुपये से अधिक होता है तो उस पर भी टैक्स लगेगा.
गारंटी के साथ रिटर्न
एफडी की सबसे खास बात यही होती है कि इसमें आपको गारंटी के साथ रिटर्न मिलता है। इसका मतलब है कि अगर आप 5 साल या 10 साल या कितने भी साल बाद की योजना बना रहे हैं तो एफडी में यह पता चल जाता है कि आपको मेच्योरिटी पर कितने पैसे मिलेंगे क्योंकि एफडी पर फिक्स रिटर्न मिलता है. वहीं, म्यूचुअल फंड, एनपीएस, ईएलएलएस जैसे निवेशों में रिटर्न हर साल कम-ज्यादा होता है और शेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है.
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Tags: Fixed deposits, Interest Rates, Investment, Personal finance, Saving
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